दिल्ली, प्रेट्र। कोविड-19 से मुकाबला कर रहे मेडिकल स्टाफ की प्रशंसा करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने कहा है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में नर्सो व मिडवाइफ का कैडर दुरुस्त करने की जरूरत है। 2030 तक हेल्थ फार आल लक्ष्य पूरा करने के लिए कम से कम 19 लाख भर्तियां करने की जरूरत है।
डब्लूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र की निदेशक डा.पूनम खेत्रपाल ने विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर कहा कि गुणवत्ता पूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में लिए नर्सो और मिडवाइफ की अहम भूमिका है।
पूरे जीवन बच्चों के जन्म, माताओं की देखभाल, स्वास्थ्य सलाह, टीकाकरण, बुजुर्गो की देखभाल आदि में इनकी बहुत आवश्यकता होती है। सभी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जरूरी है कि इन नर्सों को हर तरह से अपने काम में दक्ष बनाया जाये।
डब्लूएचओ के स्थापना दिवस पर हर साल 7 अप्रैल को मनाये जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस की इस बार की थीम नर्स व मिडवाइफ कार्यबल को मजबूत करना है।
2018 तक 35 लाख नर्स व मिजवाइम को किया गया तैयार
वर्ष 2015 में डब्लूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया ने क्षेत्र में चिकित्सा कार्यबल की कमी दूर करने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए दस साल का लक्ष्य निर्धारित किया। ग्रामीण क्षेत्रों में नर्स व मिडवाइफ को प्रशिक्षित कर उन्हें तैनात करने का काम वरीयता पर रखा गया। वर्ष 2018 तक इस क्षेत्र में 35 लाख नर्स व मिडवाइफ को तैयार कर लिया गया। हर दस हजार की आबादी पर 18 नर्सो व मिडवाइफ की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गई। जबकि 2014 में नर्सो व मिडवाइफ की संख्या 29 लाख थी। इस हिसाब से तब प्रति दस हजार आबादी पर इनकी उपलब्धता 16 थी।
उन्होंने कहा कि इस मामले में तरक्की हुई है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। वैश्विक घनत्व प्रति दस हजार आबादी पर 37 नर्सो का है। जबकि आवश्यकता प्रति दस हजार आबादी पर 40 नर्सो की है। वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र 19 लाख नर्सो की जरूरत होगी। क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि कोविड-19 की वैश्विक आपदा में यह पता चल रहा है कि लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए नर्सो की कितनी जरूरत है।