अयोध्या सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रुख का रामनगरी ने स्वागत किया है। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष एवं शीर्ष पीठ मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास ने कहा कि यह अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के रुख से यह स्पष्ट हो रहा है कि न केवल सुप्रीम कोर्ट बल्कि पूरा देश राममंदिर के हक में खड़ा हो रहा है। संतों की नुमाइंदगी करने वाली संस्था रामानंद संप्रदाय के प्रमुख जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य के अनुसार यह राष्ट्रीयता की जीत है। सुप्रीम फैसला स्वीकार करने के लिए मुस्लिम पक्ष बधाई का पात्र है। रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास ने कहा कि निर्णय आने के साथ ही यह स्पष्ट होने लगा था कि देश के मुस्लिमों ने उसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया है। अब सुन्नी मुस्लिमों की नुमाइंदगी करने वाली संस्था ने भी रुख साफ कर दिया है।
हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने कहा कि इस मसले पर मुस्लिमों की जितनी भी प्रशंसा की जाय कम है। निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्रदास के अनुसार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का यह रुख अत्यंत सुखद है। विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, यह दौर विवाद से ऊपर उठकर सृजन-संवाद का है और मुस्लिम पक्ष ने इस सच्चाई को समझा है। मस्जिद के स्थानीय पक्षकार मुहम्मद इकबाल अंसारी उन लोगों में रहे हैं, जिन्होंने सबसे पहले खुले दिल से फैसले का स्वागत किया। मंगलवार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का निर्णय एक प्रकार से उनकी जीत तय करने वाला सिद्ध हुआ। इकबाल ने कहा कि यह समझ में आना स्वागतयोग्य है कि विवाद छोड़कर मुल्क की तरक्की के लिए आगे बढ़ना चाहिए। रविप्रकाश श्रीवास्तव, अयोध्यारामलला का दर्शन करने के लिए वैसे तो वर्षभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन फैसले के बाद दर्शनार्थियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
नई ऊर्जा और उत्साह से लबरेज श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के पीछे रामलला के हक में आए फैसले की प्रत्यक्ष भूमिका भी मानी जा रही है। अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को फैसला सुनाया था। निर्णय आए 17 दिन बीत चुके हैं। इस अवधि में डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु रामलला का दर्शन कर चुके हैं। आराध्य के दर्शन से आह्लादित श्रद्धालुओं की इच्छा जहां अयोध्या में भव्य मंदिर देखने की है। परिसर की व्यवस्था से जुड़े जानकार भविष्य में श्रद्धालुओं की संख्या में और इजाफा तय मान रहे हैं। फैसले के दिन दर्शनार्थियों की संख्या महज 1810 थी। इसके बाद दूसरे दिन यही बढ़कर 5000 से अधिक हो गई। वह भी तब जब परिसर के आसपास कठोर पाबंदियां थीं। 11 नवंबर को संख्या दोगुने से अधिक पहुंच कर 10,500 का आंकड़ा पार कर गई। 14 नवंबर को संख्या 14,700 से अधिक रही। पाबंदियां अभी लागू हैं, बावजूद इसके 17 दिन के भीतर 1,54,000 से अधिक श्रद्धालु रामलला का दर्शन कर चुके हैं। प्रवीण तिवारी, अयोध्याविहिप के राममंदिर आंदोलन का शुरुआती केंद्र रहे जानकी महल में उत्सव यादगार होगा, जो पांच दिन तक चलेगा। यहीं मंदिर आंदोलन के दौर में विहिप के शीर्ष नेता निवास कर रणनीति तैयार करते थे। इस बार राम बरात में घोड़ा, हाथी, रथ होंगे तो देश के कोने-कोने से लगभग एक हजार लोग बराती बनकर पहुंचेंगे। एक दिसंबर को राम बरात अयोध्या के विभिन्न मार्गों से होती हुई जानकी महल पहुंचेगी। इस दौरान अन्य स्थानों से भी राम बरात निकलेंगी।
28 नवंबर से ही राम विवाह का उत्सव रामार्चा महायज्ञ से शुरू होगा। इसी दिन शाम को रामलीला का मंचन होगा। रात में भगवान गणोश का विधिवत पूजन अर्चन होगा। 29 नवंबर को दोपहर में फुलवारी लीला होगी। विवाह गीतों से परिसर गूंजता रहेगा और शाम को पुन: राम लीला का मंचन होगा। 30 को हल्दात, भगवान राम का तिलक व मेहंदी और बिनौरी नेग का आयोजन होगा। एक दिसंबर को उत्सव अपने शिखर पर होगा, इस दिन न्योछावरी नेग, मुकलावा नेग, घुड़चढ़ी सहित विवाह कार्यक्रम होंगे। दो दिसंबर को भगवान को छप्पन भोग लगाया जाएगा और कुंवर कलेवा का आयोजन होगा। यह आयोजन जानकी महल परिसर में ही होगा। जानकी महल के पुजारी पंकज मिश्र बताते हैं कि विवाह उत्सव में पारंपरिक मिथिला पद्धति देखने को मिलेगी। इसके अतिरिक्त कलेवा, फुलवारी व विवाह गीतों की प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र होगी।