सिटी सेंटर घोटाले में बहस पूरी कैप्टन को कोर्ट में हाजिर रहने के निर्देश

23 मार्च 2007 को कैप्टन व अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया था मामला


पंजाब के बहुचर्चित सिटी सेंटर घोटाले के मामले में मंगलवार को अदालत में सरकारी और आरोपित पक्ष की बहस पूरी हो गई। इसके बाद सेशन कोर्ट ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सिटी सेंटर मामले में नामजद अन्य आरोपितों को 27 नवंबर को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए हैं। विजिलेंस ब्यूरो ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित अन्य आरोपितों के खिलाफ सिटी सेंटर मामले को लेकर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की हुई है। बुधवार को 1144 करोड़ रुपये के बहुचर्चित इस घोटाले के मामले में फैसला आने की संभावना है।



सिटी सेंटर के मामले में भ्रष्टाचार की बात 13 साल पहले सितंबर 2006 में तब सामने आई थी, जब कैप्टन की सरकार थी। उसके बाद मामले की जांच शुरू हुई और पूर्व अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल में 23 मार्च 2007 को कैप्टन व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। एफआइआर तत्कालीन एसएसपी विजिलेंस कंवलजीत सिंह ने ही दर्ज करवाई थी। दिसंबर 2007 में 130 पेज की चार्जशीट दाखिल की गई थी। 152 गवाहों के ब्यान दर्ज किए गए थे। इस मामले में 36 आरोपितों में से चार की मृत्यु हो चुकी है। अन्य 32 के खिलाफ कैप्टन की सरकार बनने के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने लुधियाना की अदालत में अगस्त 2017 में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। केस दर्ज होने के बाद 12 साल बीत चुके हैं और लुधियाना का सबसे बड़ा सिटी सेंटर अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। अदालत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को बुधवार को तलब किया है। संभावना जताई जा रही है कि अदालत इस घोटाले में फैसला सुना सकती है।


यह था सिटी सेंटर प्रोजेक्ट 


सिटी सेंटर प्रोजेक्ट की योजना 1979 में बनाई गई थी। इसके लिए शहीद भगत सिंह नगर के 475 एकड़ में 26.44 एकड़ जगह सिटी सेंटर के लिए आरक्षित रखी गई थी। सालों लटकने के बाद 2005 में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत इस प्रोजेक्ट को तैयार किया गया था। यहां पर मल्टीप्लेक्स, मॉडर्न शॉ¨पग मॉल, सुपर मार्केट, ऑफिस, ट्रेड सेंटर, फूड प्लाजा, सिटी म्यूजियम, रीक्रिएशन सेंटर, आइटी सेंटर, हेल्थ सेंटर, बैंक, रिवॉलिं्वग रेस्टोंरेंट, एससीओ (शॉप कम ऑफिस) तैयार होने थे। इस साइट का कुल एरिया 10 लाख 70 हजार 553 वर्ग फुट है। यहां पार्किग समेत 26 लाख 89 हजार 604 वर्ग फुट एरिया में निर्माण होना था। 2300 कारों के लिए पार्किग का निर्माण किया जाना था। इसकी ऊंचाई 100 फुट तक रखी गई थी।


चेयरमैन गरचा ने कांग्रेस को 100 करोड़ रुपये देने का लगाया था आरोप : इस प्रोजेक्ट को लेकर उस समय विवाद शुरू हुआ जब तत्कालीन ट्रस्ट चेयरमैन अशोक सिंह गरचा ने कांग्रेस नेता पर इस प्रोजेक्ट से ऑल इंडिया कांग्रेस को 100 करोड़ रुपये देने की बात कही थी। इसके बाद गरचा ने इस प्रोजक्ट को 2003 में सस्पेंड कर दिया और 30 जून 2003 को तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री को पत्र भी लिखा। बाद में गरचा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।


 


नवजोत सिद्धू ने भी खोला था मोर्चा : खास बात यह है कि भाजपा में रहते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने भी इस मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला था। तत्कालीन भाजपा सांसद सिद्धू ने अविनाश राय खन्ना व अन्य नेताओं के साथ कैप्टन व अन्य आरोपितों के खिलाफ बकायदा थाना सराभा नगर में एफआइआर दर्ज करने के लिए शिकायत भी दी थी। हालांकि, तब पुलिस ने सुनवाई नहीं की थी और अब सिद्धू कांग्रेस से विधायक हैं।